क्या
होता है ब्लैकआउट और घरों की बत्तियां बंद होना क्यों है जरूरी, जानें
देशभर
में 7
मई को 244 जिलों में मॉक ड्रील का आयोजन किया जा रहा है। इस कड़ी में
ब्लैकआउट किये जाने के साथ-साथ घरों की बत्तियों को भी बंद रखा जाएगा। ऐसे में इस
लेख में हम जानेंगे कि आखिर ब्लैकआउट क्या होता है और यह क्यों जरूरी है।
पहलगाम
में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार एक्शन में है। इस कड़ी में सरकार की ओर से अहम
कदम उठाते हुए देशभर के 244 जिलों
में मॉकड्रील का आयोजन किया जा रहा है।
इसमें
सिविल डिफेंस ट्रेनिंग होगी, जो
कि एक विशेष अभ्यास होगा। इस ट्रेनिंग में युद्ध या फिर किसी आपात स्थिति में
नागरिकों को सुरक्षा के लिहाज से प्रशिक्षित किया जाता है, जिससे जान-माल का नुकसान कम हो।
साल
1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद से यह पहली बार है, जब मॉक ड्रील का आयोजन किया जा रहा है। इसमें ब्लैकाउट एक
अहम किस्सा है, जिसमें दुश्मन की आंख
पर पर्दा डालने का काम किया जाता है। ऐसे में इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर
ब्लैकआउट क्या होता है और ड्रील में घरों तक की बत्तियां बुझना क्यों जरूरी है।
क्या
होता है ब्लैकआउट
किसी
भी देश पर जब युद्ध का खतरा होता है या फिर हवाई हमले की संभावना बनी हुई होती है, तो उस स्थिति में दुश्मन द्वारा जमीन पर मौजूद रोशनी को
निशाना बनाया जाता है। इस कड़ी में घरों में जलती हुई रोशनी, गाड़ियों की हेडलाइट्स व सड़कों पर जलती हुई बत्तियां भी
दुश्मन के लिए निशाना साधने में मदद करती हैं।
ब्लैकआउट
में क्या किया जाता है
ब्लैकआउट
में घरों की बत्तियों से लेकर कुछ स्ट्रीट लाइट्स को कुछ समय तक बंद रखने के लिए
निर्देश दिया जाता है। साथ ही, खिड़कियों
पर पर्दा डालने के साथ-साथ गाड़ियों की हेडलाइट्स को काले कवर से ढककर रखने का
निर्देश होता है।
क्यों
जरूरी है ब्लैकाउट
ब्लैकआउट
में जब पूरी जमीन पर पूरी तरह से अंधेरा होता है, तो इसमें हवाई क्षेत्र से दुश्मन को निशाना साधने में
मुश्किल होगी। क्योंकि, पूरी तरह
से अंधेरा होने की वजह से दुश्मन किसी भी चीज को निशाना नहीं बना सकता है। ऐसे में
जान-माल का नुकसान अधिक होने की संभावना कम होती है।
1971 की लड़ाई में दिए गए थे निर्देश
साल
1971 में भारत-पाक युद्ध के समय भारत के अलग-अलग शहरों में मॉक
ड्रील का आयोजन किया गया था। इसका जिक्र सिविल डिफेंस ब्लैकआउट प्रोटोकॉल के रूप
में रक्षा मंत्रालय और पुरालेखों की रिपोर्ट में किया गया है।
वहीं, सिविल डिफेंस मैनुअल्स में भी इस बात का जिक्र किया गया है।
उस समय रेडियो के माध्यम से ‘बत्तियां बुझा दो’ और ‘पर्दे खींच दो’ के निर्देश दिए
जाते थे,
जिससे पूरी तरह से ब्लैकआउट की स्थिति बने रहे।
क्या
होती है मॉक ड्रील
मॉक
ड्रील एक प्रकार का अभ्यास होता है, जिसका उपयोग किसी संभावित आपातकालीन स्थिति के लिए लोगों व
संगठनों को तैयार करने के लिए किया जाता है। यह एक वास्तविक स्थिति की तरह ही होता
है,
जिसमें विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां एक साथ मिलकर काम करती
हैं,
जिससे उनके बीच समन्वय भी बढ़ता है।
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